Day Time Sleep: रात की नींद अधूरी, दिन की झपकी ज़रूरी, इसपर क्या कहती है रिसर्च?
दोपहर के समय खाने के बाद अक्सर हमें नींद आने लगती है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं या इसे आलस्य से जोड़ लेते हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया हमारे शरीर की कार्यप्रणाली से जुड़ी हुई है, लेकिन क्या यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह? आइए विस्तार से जानें कि दिन में सोने के फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं और कितनी देर सोना चाहिए।
दोपहर में नींद क्यों आती है?
विशेषज्ञों के अनुसार, जब हम खाना खाते हैं, तो हमारे शरीर का पाचन तंत्र सक्रिय हो जाता है। इस प्रक्रिया में रक्त संचार पेट की ओर बढ़ जाता है ताकि भोजन का सही ढंग से पाचन हो सके। इसका परिणाम यह होता है कि मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कुछ कम हो जाता है, जिससे थकान और नींद का अनुभव होता है। इसके अलावा, भोजन के बाद शरीर में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जो भी नींद आने का एक मुख्य कारण होता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इससे डरने की जरूरत नहीं है।
दोपहर में सोना अच्छा या बुरा?
नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, अमेरिका में लगभग एक तिहाई वयस्क दोपहर में झपकी लेते हैं। इस पर किए गए कई शोध यह बताते हैं कि छोटी अवधि की नींद, जिसे नैप कहा जाता है, अलर्टनेस (सतर्कता) और प्रोडक्टिविटी (उत्पादकता) को बढ़ाने में सहायक होती है। अगर आप दोपहर में 20-30 मिनट की छोटी झपकी लेते हैं, तो यह आपकी कार्यक्षमता को सुधारने में मदद कर सकती है।
हालांकि, यह जरूरी है कि इस नैप की अवधि ज्यादा न हो। यदि दिन में सोने की आदत बन जाती है और यह लंबी अवधि तक जारी रहती है, तो इसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
दिन में सोने के फायदे
हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, दिन में हल्की झपकी लेना आपके दिमाग के लिए फायदेमंद हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है, आपकी याददाश्त को मजबूत करता है और आपके शरीर को फिर से सक्रिय करने में मदद करता है। इसके अलावा, एक अच्छी झपकी आपकी मानसिक थकान को दूर करने में सहायक होती है, जिससे आप अधिक ताजगी और ऊर्जा महसूस करते हैं।
दिन में सोने के नुकसान
अगर दिन में सोने की आदत रोज़ बन जाए, तो यह नुकसानदायक हो सकता है। हार्वर्ड के विशेषज्ञों का कहना है कि दिन में देर तक सोने से वयस्कों में कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जैसे:
- डायबिटीज: दिन में अधिक सोने वालों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
- हार्ट डिजीज: दिन में अधिक सोने वाले लोगों में दिल से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- डिप्रेशन: अत्यधिक नींद लेने वालों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, जैसे अवसाद और तनाव, अधिक देखी गई हैं।
दिन में सोने का मतलब यह भी हो सकता है कि रात में आपकी नींद पर्याप्त नहीं हो रही है। रात की अधूरी नींद और दिन की लंबी झपकी आपके स्लीपिंग साइकिल को बिगाड़ सकती है, जो आगे चलकर आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लंबे समय तक ऐसा जारी रहने पर यह कई क्रोनिक बीमारियों का कारण बन सकता है।
दिन में कितनी देर सोना चाहिए?
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिन में 20-30 मिनट से अधिक न सोएं। इससे ज्यादा सोने से शरीर और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप लंबे समय तक सोते हैं, तो इससे शरीर को रिलैक्स होने के बजाय, थकान और सुस्ती का अहसास हो सकता है। इसके अलावा, दिन में ज्यादा सोने से रात की नींद भी प्रभावित हो सकती है, जिससे आपकी स्लीपिंग साइकिल में गड़बड़ी हो सकती है।
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