Varalakshmi vrat kaise karen? वरलक्ष्मी व्रत के दिन सुख-समृद्धि के लिए घर लाएं ये चीजें, माता लक्ष्मी की बनी रहेगी कृपा
वरलक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो सुहागिन महिलाओं द्वारा मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत में महिलाएं मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस व्रत के दिन कुछ खास चीजें घर लाने का विधान है, जो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और घर में सुख-समृद्धि लाने में मदद करते हैं।
वरलक्ष्मी व्रत में कौन सी चीजें लाएं?
कलश:
- हिंदू धर्म में कलश का विशेष महत्व है । इसे समृद्धि, शुभता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। विशेषकर पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में कलश का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत जैसी पूजा में तो कलश का होना अति आवश्यक माना जाता है ।
- कलश को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि कलश में देवी-देवताओं का वास होता है और यह सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है। इसलिए, पूजा के दौरान कलश की स्थापना करके हम देवी-देवताओं को आमंत्रित करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- वरलक्ष्मी व्रत में कलश का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं और कलश की स्थापना करके उन्हें प्रसन्न करती हैं। माना जाता है कि कलश में मां लक्ष्मी का वास होता है और इस दिन कलश की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं।
- कलश न केवल एक पात्र है बल्कि यह धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह समृद्धि, शुभता और पवित्रता का प्रतीक है। वरलक्ष्मी व्रत में कलश की स्थापना का विशेष महत्व है और यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
स्वस्तिक:
- स्वस्तिक एक ऐसा चिन्ह है जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य धर्मों और संस्कृतियों में भी शुभता का प्रतीक है। स्वस्तिक शब्द संस्कृत के ‘स्वस्ति’ शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है कल्याण, मंगल या शुभ।
- स्वस्तिक का चिन्ह एक 45 डिग्री के कोण पर बने चार भुजाओं वाला एक क्रॉस होता है। यह दक्षिणावर्त या वामावर्त दोनों दिशाओं में बनाया जा सकता है। दक्षिणावर्त स्वस्तिक को शुभ और मंगलकारी माना जाता है और इसे घरों, मंदिरों और अन्य पवित्र स्थानों पर बनाया जाता है।
- स्वस्तिक को रोली, चंदन या कुमकुम से बनाया जा सकता है। इसे दक्षिणावर्त दिशा में बनाना शुभ माना जाता है।
- स्वस्तिक एक ऐसा चिन्ह है जो सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। इसे शुभता, मंगल और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाना एक भारतीय परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है।
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दीपक:
दीपक, सदियों से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है। यह न केवल प्रकाश का स्रोत होता है बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। दीपक जलाना एक ऐसी परंपरा है जो अंधकार को दूर कर प्रकाश लाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। दीपक जलाना एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। यह न केवल अंधकार को दूर करता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
फल और मिठाई:
- हिंदू धर्म में फल और मिठाई को भगवान को अर्पित करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन्हें प्रिय भोग अर्पित करना चाहिए। वरलक्ष्मी व्रत जैसी पूजा में तो फल और मिठाई का भोग लगाना अति आवश्यक माना जाता है।
- वरलक्ष्मी व्रत में महिलाएं मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं और उन्हें फल और मिठाई का भोग लगाती हैं। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं।
- फल और मिठाई को भगवान को अर्पित करना एक सुंदर परंपरा है। यह न केवल भगवान को प्रसन्न करता है बल्कि हमारे मन को भी शांत करता है। वरलक्ष्मी व्रत में फल और मिठाई का विशेष महत्व है और यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
कुमकुम:
- कुमकुम, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पदार्थ है। इसे सिंदूर भी कहा जाता है। यह आमतौर पर विवाहित हिंदू महिलाएं अपने माथे पर लगाती हैं। कुमकुम न केवल एक सौंदर्य प्रसाधन है बल्कि इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी हैं।
- कुमकुम को अनामिका उंगली से माथे पर लगाया जाता है। इसे बीच में या थोड़ा सा दाईं ओर लगाया जाता है।
- कुमकुम एक ऐसा पदार्थ है जो भारतीय संस्कृति में गहराई से रचा-बस गया है। यह न केवल एक सौंदर्य प्रसाधन है बल्कि इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी हैं। कुमकुम को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसे लगाने से सुख-समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है।
चावल:
- हिंदू धर्म में चावल को अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे समृद्धि, वैभव और उन्नति का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ में चावल का उपयोग अनेक प्रकार से किया जाता है।
- चावल को हमेशा से ही समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। खेतों में उगने वाला चावल खाद्यान्न का मुख्य स्रोत है और जीवन का आधार माना जाता है। इसलिए, चावल को भगवान को अर्पित करके हम अपने जीवन में समृद्धि लाने की कामना करते हैं।
- चावल न केवल भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। चावल को समृद्धि, वैभव और उन्नति का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ में चावल का उपयोग करके हम अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाने की कामना करते हैं।
नारियल:
नारियल, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र फल माना जाता है। इसे श्रीफल भी कहा जाता है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में बल्कि दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नारियल को भगवान शिव का प्रिय फल माना जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय अक्सर नारियल भी चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
नारियल को तोड़कर मां लक्ष्मी को अर्पित करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। नारियल को तोड़ते समय उसमें से निकलने वाला पानी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। नारियल को बुरी नजर से बचाव के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। घर के मुख्य द्वार पर नारियल तोड़कर फेंकने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। विवाह, गृह प्रवेश, जन्मदिन जैसे शुभ अवसरों पर नारियल तोड़ना शुभ माना जाता है। नारियल का उपयोग पूजा-पाठ में कई तरह से किया जाता है। जैसे कि कलश में नारियल डालना, नारियल चढ़ाना आदि।
नारियल सिर्फ एक फल ही नहीं बल्कि यह धार्मिक, सांस्कृतिक और आयुर्वेदिक महत्व रखता है। नारियल को पवित्रता, समृद्धि और बुरी नजर से बचाव का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान शिव और मां लक्ष्मी को समर्पित किया जाता है।
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FAQ varalakshmi vrat katha in hindi:
वरलक्ष्मी व्रत के दिन क्या करें?
वरलक्ष्मी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद, मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाने चाहिए। मां के चरणों में फूल, चंदन, रोली और सिंदूर अर्पित करने के साथ-साथ दीपक जलाकर आरती करना चाहिए। इस दौरान मन को शांत रखते हुए मां लक्ष्मी से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए। दिन के अंत में, ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान करना शुभ माना जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व?
वरलक्ष्मी व्रत, हिंदू धर्म में विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है । माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं , पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं ।
इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। मां लक्ष्मी की कृपा से परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है और सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं । सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत सौभाग्य का प्रतीक है । यह व्रत उनके सुहाग की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है । संतानहीन दंपति इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है । जो भी मनोकामनाएं होती हैं , वे मां लक्ष्मी की कृपा से पूरी होती हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से भी विकसित होता है और मां लक्ष्मी के प्रति श्रद्धा बढ़ती है ।
वरलक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा?
इस व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं । एक कथा के अनुसार , एक बार देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में देवता हार गए थे । देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की और ब्रह्मा जी ने उन्हें मां लक्ष्मी की पूजा करने का सुझाव दिया । देवताओं ने मां लक्ष्मी की पूजा की और उनकी कृपा से असुरों पर विजय प्राप्त की। तब से देवता और मनुष्य मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं ।
नोट: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है । किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले अपने गुरु या पंडित से सलाह लेना उचित होगा ।